[Source: PIB News]
संक्षेप नोट्स परीक्षा के दृष्टि से
30वाँ विश्व ओजोन दिवस 2024
परिचय
- तिथि: 16 सितंबर 2024 (हर साल 16 सितंबर को)
- स्थान: नई दिल्ली
- थीम: “मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल – जलवायु कार्रवाई को आगे बढ़ाना”
- उद्देश्य: ओजोन परत के संरक्षण के प्रति जागरूकता फैलाना
- भारत में
- केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के तहत
- 1995 से राष्ट्रीय और राज्य स्तर पर आयोजन
महत्व
- जागरूकता: ओजोन परत की कमी और पृथ्वी को होने वाले खतरे पर जागरूकता फैलाने के लिए मनाया है
- उपाय: ओजोन परत को संरक्षित करने के लिए उठाए गए कदम
पृष्ठभूमि
- 1994: संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा 16 सितंबर को अंतर्राष्ट्रीय दिवस के रूप में स्थापित
- 16 सितंबर 1987: मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल पर हस्ताक्षर
- पहला आयोजन: 16 सितंबर 1995
ओजोन परत का महत्व
- संरचना और स्थान
- अणु: त्रिपरमाणुक ओजोन (O₃)
- स्थान: पृथ्वी की सतह से 15-30 किमी ऊपर, समताप मंडल में
- भूमिका
- सूर्य की हानिकारक पराबैंगनी किरणों को रोकना
- जीवन का संरक्षण करना
- स्वास्थ्य और जलवायु पर प्रभाव
- त्वचा कैंसर: हानिकारक पराबैंगनी किरणों के संपर्क में आने से त्वचा कैंसर का खतरा बढ़ता है
- जलवायु परिवर्तन: ओजोन परत का क्षरण पृथ्वी के जलवायु में बदलाव का कारण बनता है
ओजोन परत के क्षरण के लिए मानवीय भूमिका
- प्राकृतिक और मानवीय प्रभाव
- ओजोन अणुओं का स्वाभाविक नाश और निर्माण
- मानवीय क्रिया से नाश की दर अधिक
- मानव निर्मित रसायन
- क्लोरोफ्लोरोकार्बन (CFCs),
- मिथाइल ब्रोमाइड,
- मिथाइल क्लोरोफॉर्म,
- कार्बन टेट्राक्लोराइड,
- हैलोन,
- हाइड्रोक्लोरोफ्लोरोकार्बन (HCFCs)
- उपयोग: शीतलक, एयर कंडीशनर, एरोसोल स्प्रे
- रसायनों का प्रभाव
- क्लोरीन और ब्रोमीन ओजोन के साथ प्रतिक्रिया
- ओजोन अणुओं का विघटन (ऑक्सीजन अणुओं में)
- ‘ओजोन छिद्र’ का निर्माण
ओजोन क्षरण को रोकने के अंतर्राष्ट्रीय प्रयास
- वियना कन्वेंशन
- तारीख: 22 मार्च 1985
- हस्ताक्षरकर्ता: 28 देश
- उद्देश्य: ओजोन परत के संरक्षण के लिए पहला अंतर्राष्ट्रीय समझौता
- मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल
- तारीख: 16 सितंबर 1987
- आधार: वियना कन्वेंशन
- उद्देश्य: ओजोन क्षयकारी गैसों के उत्पादन, खपत और उन्मूलन के लिए रोड मैप
- सार्वभौमिक अनुसमर्थन
- तारीख: 16 सितंबर 2009
- विवरण: वियना कन्वेंशन और मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल पहली संधि बनी जो संयुक्त राष्ट्र के इतिहास में सार्वभौमिक अनुसमर्थन प्राप्त करती है
किगाली संशोधन 2016
- HFCs का उपयोग
- विवरण: मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल के कार्यान्वयन के बाद ओजोन क्षयकारी पदार्थ के विकल्प के रूप में हाइड्रोफ्लोरोकार्बन (HFCs) का उपयोग बढ़ा
- समस्या: HFCs ओजोन परत को नष्ट नहीं करते, लेकिन ग्लोबल वार्मिंग की संभावना अधिक है
- संशोधन
- तारीख: 2016
- स्थान: किगाली, रवांडा
- उद्देश्य: HFCs के उपयोग को चरणबद्ध तरीके से समाप्त करने का कार्यक्रम
किगाली संशोधन के तहत भारत की प्रतिबद्धता
- उद्देश्य
- 2032: HFCs उत्पादन और खपत में 10% कमी
- 2037: 20% कमी
- 2042: 30% कमी
- 2047: 85% कमी
ये भी पढ़ें: टाइफून यागी राहत के लिए भारत का ऑपरेशन सद्भावना शुरू
ये भी पढ़ें: आइसलैंड में भारत का अगला राजदूत नियुक्त: आर रवींद्र
ये भी पढ़ें: दूसरे एशिया-प्रशांत मंत्रिस्तरीय सम्मेलन की मेजबानी
I have completed both a Diploma (College: N G P Patna-13) and a Bachelor of Technology (University: IPU Delhi) in CSE. I qualified for the Railway JE Exam and joined in 2017. Presently, I am a software engineer. I have been working in the engineering field for 7 years. Along with my job, I am also an educator, content writer, current affairs expert, and blogger. I have been working in these fields for 3 years. I dedicated myself to making learning simple and enjoyable. As a writer, I have spent 3 years crafting insightful content. With 3 years of expertise in current affairs, I provide up-to-date knowledge as well as analysis of current events from exam points of view. Additionally, I am offering personalized educational support and guidance.