Classical Language: 5 नई भाषाओं को शास्त्रीय भाषा का दर्जा मिली

Classical Language

[Source: The Indian Express]

संक्षेप नोट्स परीक्षा के दृष्टि से

5 नई भाषाओं को शास्त्रीय भाषा (Classical Language)का दर्जा मिली

परिचय

  • तारीख: 3 अक्टूबर 2024
  • 5 नई भाषाओं को ‘शास्त्रीय भाषा’ का दर्जा।
  • भाषा विशेषज्ञ समिति की सिफारिश पर स्वीकार की गई।
  • निर्णय: केंद्रीय मंत्रिमंडल ने मंजूरी दी (प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में)
  • 5 नवीनतम भाषाएं:
    • मराठी
    • बंगाली
    • असमिया
    • पाली
    • प्राकृत
  • पहले की 6 शास्त्रीय भाषाएँ:
    • तमिल
    • तेलुगु
    • मलयालम
    • कन्नड़
    • संस्कृत
    • ओडिया
  • भारत में शास्त्रीय भाषाओं की संख्या बढ़कर अब 11 हो गई।

ऐतिहासिक जानकारी

  • तमिल: पहली शास्त्रीय भाषा (2004)
  • संस्कृत: दूसरी शास्त्रीय भाषा का दर्जा (2005)
  • अन्य भाषाएं:
    • तेलुगु
    • कन्नड़
    • मलयालम
    • उड़िया (क्रमशः मान्यता प्राप्त)
  • विशेष बातें:
    • मराठी की मांग: 2013 से लंबित।
    • महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव 2024 से पहले मंजूरी मिली।
    • बंगाली: दुर्गा पूजा के दौरान मंजूरी मिली।

भारतीय शास्त्रीय भाषाएं की श्रेणी

  • स्थापना: 2004 में केंद्र सरकार द्वारा
  • संस्कृति मंत्रालय और भाषाई विशेषज्ञ समिति द्वारा स्थापित।
  • परिभाषा: प्राचीन भाषाओं के लिए एक छत्र शब्द, जो मूल्यवान, मौलिक और विशिष्ट साहित्यिक विरासत को दर्शाती हैं।

भारत की शास्त्रीय भाषाएँ

2004 से अभीतक  केंद्र सरकार ने ग्यारह भारतीय भाषाओं को शास्त्रीय भाषाएँ घोषित किया है

क्रम संख्या भाषा अधिसूचना की तिथि राज्य जिसमें मुख्य रूप से बोली जाती
1 तामिल 12/10/2004 तमिलनाडु
2 संस्कृत 25/11/2005
3 तेलुगू 31/10/2008 आंध्र प्रदेश, तेलंगाना
4 कन्नडा 31/10/2008 कर्नाटक
5 मलयालम 08/08/2013 केरल
6 उड़िया 01/03/2014 ओडिशा
7 मराठी 3/10/2024 महाराष्ट्र
8 और 9 पाली ,प्राकृत 3/10/2024 बिहार, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश
10 बंगाली 3/10/2024 पश्चिम बंगाल
11 असम 3/10/2024 असम

शास्त्रीय भाषा का दर्जा प्राप्त करने के मानदंड

मानदंडों को समय-समय पर संशोधित किया गया है, और मानदंडों का वर्तमान सेट इस प्रकार है:

प्रारंभिक मानदंड (2004)

  • प्रारंभिक ग्रंथों/अभिलिखित इतिहास की प्राचीनता 1,000 वर्ष से अधिक होनी चाहिए।
  • प्राचीन साहित्य/ग्रंथों का एक समूह, जिसे मूल्यवान विरासत माना जाता है।
  • साहित्यिक परंपरा मौलिक होनी चाहिए, उधार नहीं ली गई।

संशोधित मानदंड (2005)

  • प्रारंभिक ग्रंथों/अभिलिखित इतिहास की प्राचीनता 1,500-2,000 वर्ष होनी चाहिए।
  • प्राचीन साहित्य का समूह, जिसे मूल्यवान विरासत माना जाता है।
  • साहित्यिक परंपरा मौलिक होनी चाहिए, उधार नहीं ली गई।
  • आधुनिक रूपों से भिन्न; बाद के रूपों के साथ संभवतः असंगति।

अद्यतन मानदंड (2024)

  • प्रारंभिक ग्रंथों/अभिलिखित इतिहास की प्राचीनता 1,500-2,000 वर्ष होनी चाहिए।
  • प्राचीन साहित्य/ग्रंथों का समूह, जिसे विरासत माना जाता है।
  • ज्ञान संबंधी ग्रंथ, जिसमें गद्य, अभिलेखीय और लेखन प्रमाण शामिल हैं।
  • वर्तमान रूपों से भिन्न; बाद के रूपों के साथ संभवतः असंगति।
  • परिवर्तन: मौलिक परंपरा का मानदंड बदला गया। असमिया, बांग्ला, मराठी, पाली और प्राकृत को शास्त्रीय भाषा का दर्जा दिया गया।

शास्त्रीय भाषा का दर्जा प्राप्त करने के लाभ

अकादमिक अवसर

  • अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कार: शास्त्रीय भारतीय भाषाओं के विद्वानों के लिए प्रत्येक वर्ष दो प्रमुख पुरस्कार दिए जाते हैं।
  • उत्कृष्टता का केंद्र: शास्त्रीय भाषाओं में अध्ययन के लिए एक केंद्र की स्थापना।
  • पेशेवर कुर्सियां: विश्वविद्यालय अनुदान आयोग द्वारा केंद्रीय विश्वविद्यालयों में विद्वानों के लिए कुर्सियों की स्थापना।

रोजगार के अवसर

  • अकादमी और अनुसंधान में नौकरी के अवसर बढ़ेंगे।
  • प्राचीन ग्रंथों के संरक्षण, दस्तावेजीकरण, और डिजिटलीकरण में अवसर, जिसमें अभिलेखागार, अनुवाद, प्रकाशन, और डिजिटल मीडिया शामिल हैं।

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