भाषा विवाद: बेंगलुरु में हिंदी-अंग्रेजी साइनबोर्ड्स पर कालिख पोती, मांग – 60% कन्नड़ का नियम तुरंत लागू हो

भाषा विवाद: बेंगलुरु में हिंदी-अंग्रेजी साइनबोर्ड्स पर कालिख पोती

भाषा विवाद: बेंगलुरु, बुधवार को यहां भाषा विवाद को लेकर बवाल मचा। बृहत बेंगलुरु महानगर पालिका (BBMP) ने हाल ही में एक आदेश जारी किया था, जिसमें शहर के सभी दुकानों, होटल्स और मॉल्स में लगे साइनबोर्ड पर 60% कन्नड़ भाषा अनिवार्य कर दी थी। इस आदेश के खिलाफ कई लोगों ने उत्तेजना जताई और कई स्थानों पर प्रदर्शन किया। यहां तोड़फोड़, कालिख पोती, और हंगामा का माहौल बना।

आदेश के मुताबिक, दुकानों के साइनबोर्ड पर कन्नड़ को बढ़ावा देने की मांग की गई है और दुकानदारों को 28 फरवरी तक का समय दिया गया है। इसका उल्लंघन करने पर उनके लाइसेंस को रद्द किया जा सकता है। BBMP के इस आदेश के बाद लोगों ने उपद्रव और प्रदर्शन का आयोजन किया।

प्रदर्शन में हिरासत में कई लोग:

प्रदर्शनकारियों ने केम्पेगौड़ा एयरपोर्ट, होटल, दुकानों और प्राइवेट कम्पनियों के ऑफिस के बाहर तोड़फोड़ की, जिन्होंने साइनबोर्ड्स पर हिंदी या अंग्रेजी भाषा को लेकर आपत्ति जताई। उन्होंने साइनबोर्ड्स को फाड़ा या कालिख पोती से सजाया। पुलिस ने प्रदर्शन कर रहे कर्नाटक रक्षणा वेदिके ग्रुप (KRV) के कुछ लोगों को हिरासत में लिया है।

ये भी पढ़ें: गृह मंत्री अमित शाह ने दी चेतावनी: मुस्लिम लीग जम्मू-कश्मीर-मसरत आलम गुट को

आदेश का पलटवार:

BBMP का यह आदेश आते ही लोगों में उत्साह बढ़ा, और उन्होंने इसे तत्काल लागू करने की मांग की है। कर्नाटक रक्षणा वेदिके ग्रुप के अध्यक्ष टी ए नारायण गौड़ा ने कहा, “बहुत से अलग-अलग राज्यों के लोग यहां आकर व्यापार कर रहे हैं और वे कन्नड़ नेमप्लेट नहीं लगा रहे हैं। अगर उन्हें बिजनेस करना है, तो उन्हें कन्नड़ में नेमप्लेट लगाना होगा, वरना उनका लाइसेंस रद्द किया जाएगा।”

बच्चों को सिखाना है कन्नड़:

गौड़ा ने इस विवाद को एक भाषा सीखने के रूप में भी देखा, “कर्नाटक में जीने के लिए कन्नड़ीगा बनना जरुरी है। लोग यहां आकर अपनी भाषा सीखने के बजाय हमारी भाषा सीख रहे हैं।”

मुख्यमंत्री का बयान:

कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने भी इस मुद्दे पर अपना रुख दिखाया था और उन्होंने कहा था, “यहां कई भाषाएं बोलने वाले लोग आकर बस गए हैं, लेकिन हम सभी को कन्नड़ बोलनी चाहिए।” उन्होंने यह भी जोड़ते हुए कहा, “कर्नाटक में रहने वालों को कन्नड़ सीखना चाहिए और वे अपनी भाषा का सम्मान करें।”

ये भी पढ़ें: आर्थिक और सैन्य तकनीकी में सहयोग: भारत-रूस का नया अध्याय

नागरिकों की मांग:

प्रदर्शनकारियों की ओर से रैली में शामिल हुए लोगों ने यह कहा कि वे इस मुद्दे पर अधिक जागरूकता बढ़ाने का मकसद रख रहे हैं और उनकी मांग है कि यह आदेश तत्काल लागू हो। पुलिस के द्वारा हिरासत में लिए गए कुछ लोग भी यही कह रहे हैं कि तात्काल प्रदर्शनकारियों की मांगों का समर्थन किया जाए।

समाप्ति तक जारी रहेगा प्रदर्शन:

गौड़ा ने बताया कि जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं होतीं, वे हर दिन रैली करेंगे और अगर पुलिस रोकती है, तो भी उनका संघर्ष बंद नहीं होगा।

बेंगलुरु में हिंदी-अंग्रेजी साइनबोर्ड्स पर कालिख पोतने और टूटफोड़ करने के पीछे चल रहे भाषा विवाद ने शहर को उत्साहित कर दिया है। इस विवाद की रूपरेखा में, नागरिकों का आदान-प्रदान और सरकार के बीच टकराव साफ़ दिखा रहा है, जिससे यह साबित होता है कि भाषा और सांस्कृतिक मुद्दे भी आजकल की चर्चा का हिस्सा बन चुके हैं। इस मुद्दे पर हो रहे प्रदर्शन को लेकर आने वाले दिनों में इसका क्या होता है, यह देखना बेहद रोचक होगा।

ये भी पढ़ें: भारत में बढ़ते साइबर हमलों का खतरा: 70 महीने में 165 हमले, एंड्रॉयड फोन्स पर बढ़ रहा मालवेयर हमला

FAQs:

बेंगलुरु में क्या है भाषा विवाद?

उत्तर: बेंगलुरु में हिंदी-अंग्रेजी साइनबोर्ड्स पर कालिख पोती हो रही है और 60% कन्नड़ भाषा का अनिवार्य नियम लागू करने की मांग हो रही है।

बृहत बेंगलुरु महानगर पालिका की आदेश क्या है?

उत्तर: BBMP ने हाल ही में एक आदेश जारी किया है, जिसमें शहर के सभी दुकानों, होटल्स, और मॉल्स में 60% कन्नड़ भाषा को साइनबोर्ड पर अनिवार्य कर दिया गया है।

लोगों ने इस आदेश के खिलाफ कैसे प्रतिक्रिया दी है?

उत्तर: आदेश के खिलाफ कई लोगों ने प्रदर्शन किया है और इसमें तोड़फोड़ और कालिख पोती की गई है।

आदेश के मुताबिक, क्या सजा हो सकती है?

उत्तर: आदेश के अनुसार, दुकानदारों को 28 फरवरी तक का समय दिया गया है कि वे 60% कन्नड़ साइनबोर्ड लगाएं, और उनके लाइसेंस को रद्द किया जा सकता है अगर वे इसे नजरअंदाज करते हैं।

लोगों की मुख्य मांगें क्या हैं?

उत्तर: प्रदर्शनकारियों की मुख्य मांग है कि यह आदेश तत्काल लागू हो और भाषा विवाद को सुलझाने के लिए उपाय अब तक्रारी के बावजूद किए जाएं।

Recent Posts

This website uses cookies.

Read More