जीवनी
- मशहूर कृषि वैज्ञानिक एमएस स्वामीनाथन ने अपने शोध के माध्यम से भारत के अन्न भंडार को बढ़ावा दिया।
- वे बंगाल में 1940 के दशक में अकाल के समय दुनिया के सबसे बड़े पैदावार के लिए महत्वपूर्ण हो गए।
- एमएस स्वामीनाथन भारतीय कृषि वैज्ञानिक थे, जिनके योगदान ने देश के कृषि क्षेत्र में क्रांति की ओर बढ़ता कदम बढ़ाया।
- उन्होंने नई तकनीकों और अद्वितीय विज्ञानिक अनुसंधान के माध्यम से कृषि उत्पादन को बढ़ावा दिलाया।
प्रेरणा
- अकाल की खबरों ने एक 18 साल के युवक को उत्साहित किया, और उन्होंने फिर भाविष्य में किसानों के लिए काम करने का निर्णय लिया।
शोध का महत्व
- स्वामीनाथन ने आलू के साइटोजेनेटिक्स में शोध किया, जिससे भारत में हरित क्रांति की शुरुआत हुई।
- उन्होंने नए आलू की किस्में विकसित की और भारत के किसानों को आलू और चावल का अधिक उत्पादन करने का मौका दिया।
सम्मान और पुरस्कार
- स्वामीनाथन को कई प्रमुख सम्मान और पुरस्कारों से नवाजा गया, जैसे कि पद्मविभूषण, पद्म भूषण, और अन्य अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कार।
- उन्होंने खाद्य सुरक्षा के क्षेत्र में अपने योगदान के लिए कई पुरस्कार भी प्राप्त किए।
विशेषज्ञता
- स्वामीनाथन की विशेषज्ञता आलू और चावल की खेती में थी, और उन्होंने इस क्षेत्र में क्रांति लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
- उनके योगदान ने भारत को खाद्य सुरक्षा में मदद की और उन्हें ‘भारतीय कृषि के पिता’ के रूप में मान्यता दिलाई है।
विश्वस्तरीय प्रसंग
- स्वामीनाथन के शोध ने भारतीय खेती को विश्वस्तर पर प्रस्तुत किया और उन्होंने विश्व को खिला सकने की क्षमता प्रदान की।
- एमएस स्वामीनाथन के नेतृत्व में, भारत ने अपने कृषि क्षेत्र को मॉडर्न तकनीकों और वैज्ञानिक अनुसंधान के साथ सुदृढ़ किया और दुनिया के सबसे बड़े कृषि उत्पादकों में से एक बना।
समर्थन
- पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने भी स्वामीनाथन के योगदान की प्रशंसा की और उनकी किताब को सरकारी संसद में उद्घाटन किया।
(Source: AIR News)
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भारत में हरित क्रांति के जनक एम एस स्वामीनाथन का निधन।
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