[Source: AIR News]
संक्षेप नोट्स परीक्षा के दृष्टि से
भारत-कजाकिस्तान संयुक्त सैन्य अभ्यास काज़िंद-2024 (Joint Military Exercise Kazind-2024)
परिचय
- संस्करण: 8वां संस्करण
- तिथि: 30 सितंबर से 13 अक्टूबर 2024
- स्थान: औली, उत्तराखंड (सूर्या विदेशी प्रशीक्षण नोड)
- पिछला संस्करण: 30 अक्टूबर से 11 नवंबर 2023, ओटार, कजाकिस्तान
- प्रमुख भागीदारी: पहली बार दोनों देशों की वायु सेना और कजाकिस्तान के एयरबोर्न आक्रमण बलों की भागीदारी
- फोकस: संयुक्त राष्ट्र शासनादेश के तहत पर्वतीय और अर्ध-शहरी परिदृश्य में उग्रवाद/आतंकवाद विरोधी अभियानों पर ध्यान केंद्रित।
संयुक्त सैन्य अभ्यास काज़िंद-2024 में प्रमुख भागीदारी
- भारतीय दल:
- 120 कर्मी
- कुमाऊं रेजिमेंट की एक बटालियन।
- भारतीय वायु सेना के कर्मियों की एक टुकड़ी।
- कजाकिस्तान दल:
- थल सेना के कर्मी।
- एयर बोर्न असॉल्ट ट्रूपर्स की एक टुकड़ी।
संयुक्त सैन्य अभ्यास काज़िंद-2024 का उद्देश्य
- केंद्रित विषय:
- उग्रवाद/आतंकवाद विरोधी अभियान।
- संयुक्त राष्ट्र शासनादेश के तहत पर्वतीय और अर्ध-शहरी परिदृश्य।
- कौशल विकास:
- ड्रोन और काउंटर-ड्रोन सिस्टम।
- विशेष हेलिबोर्न ऑपरेशन।
- कॉर्डन और सर्च ऑपरेशन।
- संबंध वृद्धि:
- सैन्य-से-सैन्य संबंध बढ़ाना।
- दोनों देशों के बीच रक्षा संबंध मजबूत करना।
संयुक्त सैन्य अभ्यास काज़िंद-2024 का महत्त्व
- आतंकवाद और उग्रवाद के खिलाफ सामूहिक रूप से मुकाबला करने की क्षमता को बढ़ाना।
- दोनों देशों के सशस्त्र बलों के बीच आपसी सहयोग और सामंजस्य को बढ़ावा देना।
- क्षेत्रीय सुरक्षा को सुदृढ़ करने में योगदान।
संयुक्त सैन्य अभ्यास काज़िंद के बारे में
- प्रारंभ: पहली बार 2016 में आयोजित।
- प्रकार: द्विपक्षीय वार्षिक सैन्य अभ्यास।
- आयोजन: दोनों देशों में वैकल्पिक रूप से आयोजित।
- स्तर: बटालियन-स्तरीय सैन्य अभ्यास।
- भागीदारी: थल सेना और वायु सेना दोनों के कर्मी।
भारत-कजाकिस्तान रक्षा संबंध के बारे में
- राजनयिक संबंध:
- 16 दिसंबर 1991 को सोवियत संघ से स्वतंत्रता की घोषणा के बाद।
- 22 फरवरी 1992 को कजाकिस्तान के साथ राजनयिक संबंध स्थापित।
- समझौता:
- जुलाई 2015 में ‘रक्षा और सैन्य तकनीकी सहयोग’ पर हस्ताक्षर।
- द्विपक्षीय सहयोग के लिए रूपरेखा:
- सैन्य-तकनीकी सहयोग
- सैन्य शिक्षा और प्रशिक्षण
- संयुक्त अभ्यास
- सामरिक सहयोग:
- 2018 में, लेबनान में संयुक्त राष्ट्र शांति मिशन के लिए कजाकिस्तान के सैनिकों को भारतीय कमान के तहत तैनात किया गया था।
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