[Source: PIB News]
संक्षेप नोट्स परीक्षा के दृष्टि से
केंद्रीय रेशम बोर्ड की प्लेटिनम जयंती पर स्मारक सिक्के का अनावरण
परिचय
- केंद्रीय कपड़ा मंत्री श्री गिरिराज सिंह ने 20 सितंबर 2024 को मैसूर में केंद्रीय रेशम बोर्ड (CSB) की प्लेटिनम जयंती के अवसर पर स्मारक सिक्के का अनावरण किया।
- उपस्थित:
- केंद्रीय कपड़ा मंत्री श्री गिरिराज सिंह
- अन्य गणमान्य लोग
- श्री एच.डी. कुमारस्वामी,
- श्री पाबित्रा मार्गेरिटा,
- कर्नाटक के पशुपालन मंत्री
उद्देश्य
- भारत के रेशम उद्योग को आगे बढ़ाने और इसके 75 वर्षों की सेवा का सम्मान करना।
- नई शहतूत किस्मों और रेशमकीट हाइब्रिड को लॉन्च कर रेशम उत्पादन में विविधता और गुणवत्ता बढ़ाना।
- आधुनिक प्रौद्योगिकियों का अनावरण जैसे निर्मूल और सेरी-विन, जो कीट प्रबंधन और स्थायी उत्पादन को बढ़ावा देते हैं।
अवावरण और लोकार्पण
- वृत्तचित्र वीडियो: केंद्रीय रेशम बोर्ड (CSB) के इतिहास को प्रदर्शित करने वाला वीडियो जारी किया गया।
- स्मारक सिक्का: प्लेटिनम जुबली के उपलक्ष्य में स्मारक सिक्का जारी किया गया।
- कॉफी टेबल बुक: “1949 से राष्ट्र की सेवा में CSB” शीर्षक वाली पुस्तक प्रकाशित की गई।
- डाक कवर: ‘CSB 75 वर्ष’ लोगो वाला विशेष डाक कवर जारी किया गया।
- शहतूत किस्मों और रेशमकीट हाइब्रिड का अनावरण:
- नई शहतूत किस्में: पूर्वी और उत्तर-पूर्व भारत के लिए CBC-01 (C-2038)
- रेशमकीट हाइब्रिड: CMB-01 (S8 x CSR16) और CMB-02 (TT21 x TT56)
- शैक्षिक संसाधनों का विमोचन:
- पुस्तकें और मैनुअल: 13 पुस्तकों, 3 मैनुअल और 1 हिंदी पत्रिका का विमोचन।
- नई तकनीक: निर्मूल, सेरी-विन, मिस्टर प्रो और ट्रैपिंग मशीन का अनावरण।
- सिल्क मार्क इंडिया वेबसाइट: आधिकारिक रूप से वेबसाइट शुरू की गई।
किसानों को सशक्त करना
- किसानों के लिए जानकारी और प्रशिक्षण प्रदान करने से उत्पादकता बढ़ेगी।
- अनुसंधान, प्रशिक्षण और अवसंरचना में सुधार से किसान और उनकी आजीविका को बढ़ावा मिलेगा।
महत्त्व
- 75 वर्षों की सेवा से केंद्रीय रेशम बोर्ड (CSB) ने रेशम उद्योग को वैश्विक मंच पर मजबूत किया।
- पूर्वोत्तर और पूर्वी भारत में शहतूत की नई किस्मों से उत्पादन क्षेत्र का विस्तार और क्षेत्रीय निर्भरता कम होगी।
- किसानों के लिए जानकारी और नई तकनीकें उपलब्ध कराने से उनकी उत्पादकता और गुणवत्ता में सुधार होगा।
केंद्रीय रेशम बोर्ड के योगदान
- दूसरा सबसे बड़ा रेशम उत्पादक: वैश्विक उत्पादन में भारत की हिस्सेदारी 1949 में 6% से बढ़कर 2023 में 42%
- रेशम उत्पादन: 1949 से 2023 तक भारत का रेशम उत्पादन 1,242 मीट्रिक टन से बढ़कर 38,913 मीट्रिक टन हुआ।
- उत्पादकता में सुधार: रेंडिटा 17 से घटकर 6.47 (2023-24) और प्रति हेक्टेयर शहतूत उत्पादन 15 किलोग्राम से 110 किलोग्राम हुआ।
- रेशम निर्यात:
- 80 से अधिक देशों में निर्यात।
- रेशम निर्यात की कमाई 1949 में ₹0.41 करोड़ से बढ़कर 2023-24 में ₹2,028 करोड़ हो चुकी है।
समझौता ज्ञापन (MoUs)
- चर्चा के प्रमुख बिंदु:
- रेशम उत्पादन अपशिष्ट का उपयोग पशु आहार, औषध और चिकित्सा अनुप्रयोगों में।
- रेशम उत्पादक राज्यों में बाजार सुविधाओं को मजबूत करना।
- कोकून की कीमतों को स्थिर करना।
- बिचौलियों के प्रभाव को कम कर किसानों को लाभ पहुंचाना।
- रेशम उत्पादन घटकों पर सब्सिडी और इकाई लागत में मुद्रास्फीति के अनुरूप समायोजन की मांग।
- सहयोग:
- CSB ने अनुसंधान और प्रशिक्षण के लिए ICAR-CIFRI बैरकपुर, जैन विश्वविद्यालय बेंगलुरु, और असम कृषि विश्वविद्यालय के साथ MoUs पर हस्ताक्षर किए।
- वैश्विक प्रतिस्पर्धा:
- भारत की स्थिति को वैश्विक रेशम बाजार में मजबूत करना और किसान कल्याण सुनिश्चित करना।
CSB की प्रमुख उपलब्धियां
- 51 रेशमकीट हाइब्रिड और 20 उच्च उपज देने वाली शहतूत किस्में विकसित की।
- 68 से अधिक पेटेंट प्रौद्योगिकियों का विकास।
- स्वदेशी स्वचालित रीलिंग मशीनों का निर्माण।
केंद्रीय रेशम बोर्ड (CSB) के बारे में
- शुरुआत: केंद्रीय रेशम बोर्ड की स्थापना 8 मार्च 1945 को इंपीरियल सरकार द्वारा की गई, जो रेशम उद्योग के विकास की जांच करने के लिए गठित सिल्क पैनल की सिफारिशों पर आधारित थी।
- CSB भारत का एकमात्र रेशम उत्पादन अनुसंधान और विकास संगठन।
- स्वतंत्र भारत में विधायी कार्य: स्वतंत्र भारत की सरकार ने 20 सितंबर 1948 को CSB अधिनियम 1948 लागू किया।
- अधिनियम द्वारा स्थापना: 9 अप्रैल 1949 को संसद के अधिनियम (LXI) के तहत केंद्रीय रेशम बोर्ड (CSB) की स्थापना की गई। इसका उद्देश्य भारत के रेशम उत्पादन उद्योग का विकास और प्रबंधन करना था।
- CSB का कार्य: यह एक वैधानिक निकाय है जो रेशम उत्पादन में अनुसंधान, विकास और सरकारी सलाहकार के रूप में कार्य करता है।
- उद्देश्य: अनुसंधान और विकास (R&D), गुणवत्ता मानकीकरण, रेशमकीट बीज उत्पादन, और सरकार को सलाह देना।
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