[Source: Amar Ujala]
लेफ्टिनेंट कमांडर रूपा और दिलना विश्व परिक्रमा पर रवाना
परिचय
- लेफ्टिनेंट कमांडर रूपा अलीगिरिसामी और दिलना कोनाथ भारतीय नौसेना की दो महिला अधिकारी हैं, जो समुद्री मार्ग से विश्व की परिक्रमा करने के लिए एक ऐतिहासिक यात्रा पर निकली हैं।
- उन्होंने अपनी यात्रा 2 अक्टूबर 2024 को गोवा के INS मंडोवी से शुरू की।
- इस अभियान को गोवा के INS मंडोवी से नौसेना प्रमुख एडमिरल दिनेश कुमार त्रिपाठी द्वारा हरी झंडी दिखाई गई।
- दोनों अधिकारी INSV तारिणी पर सवार होकर 21,600 समुद्री मील की दूरी तय करेंगी, जो आठ महीने लंबी होगी।
- उनके मई 2025 में गोवा लौटने की उम्मीद है।
उद्देश्य
- इस मिशन का उद्देश्य भारतीय नौसेना में महिला सशक्तिकरण को प्रदर्शित करना और यह दिखाना है कि महिलाएं लंबी दूरी की समुद्री यात्राएं भी सफलतापूर्वक कर सकती हैं।
- यह भारत की वैश्विक नौसेना शक्ति को उजागर करने और भविष्य की पीढ़ियों को रक्षा सेवाओं में शामिल होने के लिए प्रेरित करने का लक्ष्य रखता है।
- इसके अतिरिक्त, यह यात्रा सतत विकास और समुद्री परिवहन में पवन ऊर्जा के उपयोग को बढ़ावा देती है।
महत्व
- यह मिशन भारतीय सशस्त्र बलों में महिलाओं की बढ़ती भूमिका को दर्शाता है और नेतृत्व पदों में उनकी भागीदारी को प्रोत्साहित करता है।
- पारंपरिक रूप से पुरुष-प्रधान क्षेत्रों जैसे नौसेना सेवा में लैंगिक समानता और सशक्तिकरण को बढ़ावा देता है।
- अंतरराष्ट्रीय समुद्री अभियानों में भाग लेकर वैश्विक स्तर पर भारत की समुद्री छवि को मजबूत करता है।
- भारतीय सैन्य नेतृत्व में महिला अधिकारियों की दृश्यता बढ़ती है और उनके महत्वपूर्ण मिशनों में योगदान को रेखांकित करता है।
- यात्रा जलवायु जागरूकता को भी बढ़ावा देती है, जिसमें पर्यावरण के अनुकूल ऊर्जा स्रोतों का उपयोग किया जा रहा है।
अभियान की विशेषताएँ
- अवधि: आठ महीने (अक्टूबर 2024 से मई 2025 तक)।
- दूरी: 21,600 समुद्री मील।
- जहाज: INSV तारिणी, जो पहले भी वैश्विक परिक्रमा अभियानों में शामिल रहा है।
- प्रशिक्षण: दोनों अधिकारियों को प्रसिद्ध सेवानिवृत्त कमांडर अभिलाष टॉमी द्वारा मार्गदर्शन और प्रशिक्षण दिया गया।
- ऐतिहासिक लिंक: INSV तारिणी ‘नाविका सागर परिक्रमा’ पहल के तहत 2017 में पूरी तरह से महिला चालक दल के साथ अपनी वैश्विक परिक्रमा के लिए जाना जाता है।
लेफ्टिनेंट कमांडर दिलना कोनाथ
- जन्मस्थान: केरल, कोझिकोड
- कमीशन: जून 2014, भारतीय नौसेना
- पारिवारिक पृष्ठभूमि: पिता देवदासन, भारतीय सेना में सेवारत
लेफ्टिनेंट कमांडर रूपा अलीगिरिसामी
- जन्मस्थान: पुडुचेरी
- कमीशन: जून 2017, भारतीय नौसेना
- पारिवारिक पृष्ठभूमि: पिता जीपी अलागिरीसामी, भारतीय वायु सेना का हिस्सा
सकारात्मक पक्ष (भारत के संदर्भ में)
- महिला सशक्तिकरण: राष्ट्रीय रक्षा में महिलाओं के योगदान की छवि को बढ़ावा देता है।
- वैश्विक पहचान: भारत को अंतर्राष्ट्रीय समुद्री अभियानों में एक प्रमुख खिलाड़ी के रूप में प्रस्तुत करता है।
- कूटनीतिक प्रभाव: भारत की नौसैनिक कूटनीति और अंतर्राष्ट्रीय सद्भावना मिशनों को मजबूत करता है।
- प्रशिक्षण और अनुभव: नौसेना अधिकारियों को भविष्य के अभियानों के लिए महत्वपूर्ण समुद्री अनुभव प्रदान करता है।
- प्रेरणादायक रोल मॉडल: और अधिक महिलाओं को सशस्त्र बलों, विशेषकर नौसेना में, गैर-परंपरागत भूमिकाओं में शामिल होने के लिए प्रेरित करता है।
नकारात्मक पक्ष (भारत के संदर्भ में चुनौतियाँ)
- लॉजिस्टिक चुनौतियाँ: लंबी अवधि के अभियान में मौसम की चुनौतियाँ और उपकरणों की विफलता का जोखिम होता है।
- उच्च लागत: वैश्विक परिक्रमा अभियानों में पर्याप्त संसाधनों की आवश्यकता होती है, जो नौसेना के बजट पर बोझ डाल सकता है।
- स्वास्थ्य और सुरक्षा जोखिम: कठोर समुद्री वातावरण में लंबे समय तक रहने से शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य संबंधी चुनौतियाँ उत्पन्न हो सकती हैं।
भारतीय नौसेना (Indian Navy) के बारे में
- स्थापना:
- 26 जनवरी 1950 (वर्तमान सेवा)
- 5 सितंबर 1612 (ईस्ट इंडिया कंपनी के मरीन के रूप में)
- मुख्यालय: नई दिल्ली, भारत
- वर्षगांठ: 4 दिसंबर (नौसेना दिवस)
- उद्देश्य: भारत की समुद्री सीमाओं की रक्षा करना, समुद्री शांति को बढ़ावा देना और भारतीय जलक्षेत्र में सुरक्षा सुनिश्चित करना।
- कमांडर:
- सेनाध्यक्ष (Commander-in-Chief): राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू
- नौसेना प्रमुख (CNS): एडमिरल दिनेश के त्रिपाठी
- उप-नौसेना प्रमुख (VCNS): वाइस एडमिरल कृष्ण स्वामीनाथन
- नौसेना स्टाफ के उप प्रमुख (DCNS): वाइस एडमिरल रवनीत सिंह
- नौसेना मास्टर चीफ पेटी ऑफिसर: दिलबहादुर छेत्री
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