एम एस स्वामीनाथन का निधन
- भारत के प्रमुख कृषि वैज्ञानिक एम एस स्वामीनाथन का निधन गुरुवार को हुआ।
- उन्होंने चेन्नई में सुबह 11.20 बजे अंतिम सांस ली।
- उनकी उम्र 98 साल थी जब उन्होंने दुनिया को अलविदा कह दिया।
स्वामीनाथन का महत्व
- स्वामीनाथन को भारत में हरित क्रांति का जनक माना जाता है, जिनके योगदान के कारण भारत की कृषि सेक्टर में महत्वपूर्ण सुधार हुआ।
जन्म और सम्मान
- एम एस स्वामीनाथन का जन्म 7 अगस्त, 1925 को हुआ था।
- उनका पूरा नाम मनकोम्बु संबासिवन स्वामिनाथन था।
- कृषि के क्षेत्र में विशेष योगदान के लिए भारत सरकार द्वारा सन 1972 में उन्हें पद्म भूषण से सम्मानित किया गया।
भारत कृषि प्रधान देश है।
- भारत कृषि प्रधान देश है, यानी कि कृषि उत्पादन और कृषि सेक्टर देश की आर्थिक गतिविधियों का महत्वपूर्ण हिस्सा है।
अकाल और सूखा की वजह से भुखमरी के हालात
- कई सालों तक, भारत में अकाल (मौसम की अधिक वर्षा की कमी) और सूखा (पानी की कमी) के कारण कृषि उत्पादन में कमी होती रही, जिसके परिणामस्वरूप भुखमरी की समस्या पैदा हुई।
एम एस स्वामीनाथन और हरित क्रांति
- एम एस स्वामीनाथन ने भारत की इस समस्या को पहचाना और इसका समाधान ढूंढने का काम किया।
- उन्होंने मैक्सिकन गेहूं की एक बेहतरीन किस्म की पहचान की, जिससे भारत में गेहूं की उत्पादन में सुधार हुआ।
- इस प्रकार, उनके इस कदम के बाद भारत में भुखमरी की समस्या खत्म हुई और गेहूं के उत्पादन में सुधार होने से देश आत्मनिर्भर बना।
- एम एस स्वामीनाथन को इस कार्य के लिए हरित क्रांति का जनक माना जाता है।
एम एस स्वामीनाथन की पहल के बाद हरित क्रांति
- एम एस स्वामीनाथन द्वारा की गई पहल के बाद, भारत में हरित क्रांति की शुरुआत हुई।
- इस क्रांति के तहत देशभर के किसानों ने गेहूं और चावल के ज्यादा उपज देने वाले बीज लगाना शुरू किया।
खेती में आधुनिक उपकरणों का इस्तेमाल
- हरित क्रांति के परिणामस्वरूप, खेती में आधुनिक उपकरणों का इस्तेमाल भी शुरू हुआ।
वैज्ञानिक विधियों से खेती
- एम एस स्वामीनाथन के नेतृत्व में, वैज्ञानिक विधियों का उपयोग खेती में किया जाने लगा, जिससे खेती में उत्पादन में वृद्धि हुई।
भारत की आत्मनिर्भरता की कहानी
- इसी क्रांति के परिणामस्वरूप, भारत ने मात्र 25 सालों में दुनिया के सबसे ज्यादा खाद्यान्न की कमी वाले देश से आत्मनिर्भर बन गया।
एम एस स्वामीनाथन का सम्मान
- एम एस स्वामीनाथन को उनके कृषि और विज्ञान के क्षेत्र में किए गए योगदान के लिए सम्मानित किया गया।
- उन्हें 1967 में ‘पद्म श्री, 1972 में ‘पद्म भूषण और 1989 में ‘पद्म विभूषण पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
रिसोर्स
- NBT नवभारत टाइम्स पेपर्स
- मैगज़ीन
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