अभयारण्य में बाघों के रहने के लिए 450 वर्ग किलोमीटर जंगल को चिह्नित किया गया है। जबकि, पहले 900 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र चिह्नित था। 1,050 वर्ग किमी में बफर जोन बनाया जाएगा।
वर्तमान में
कैमूर के वन क्षेत्रों में भालू, तेंदुआ, हिरण सहित कई जानवरों की मौजूदगी बताई जाती है।
इसके अलावा यहां विभिन्न प्रकार के प्रवासी पक्षी भी आते रहते हैं।
कैमूर वन क्षेत्र काफी बड़ा है और इसकी सीमा झारखंड, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश के जंगलों से मिलती है।
कैमूर अभयारण्य से यूपी के सोनभद्र और मिर्जापुर होते हुए मध्य प्रदेश तक करीब 450 वर्ग किमी लंबा कॉरिडोर है।
बिहार का कैमूर जिला बिहार के दो जिले रोहतास और भभुआ के साथ सिमा लगा हुआ है।
कैमूर जिला सिर्फ उत्तर प्रदेश के साथ सिमा लगा हुआ है।
कैमूर जिला बिहार का दक्षिणी पश्चिमी जिला है।
कैमूर जिला दो भागो में बाँटा है पहला पहाड़ी क्षेत्र जिसे कैमूर पठार के नाम से जानते है और दूसरा मैदानी क्षेत्र।
बिहार के कैमूर जिले में सबसे अधिक वन क्षेत्र है 34 प्रतिशत।
बिहार वन विभाग की आधिकारिक वेबसाइट के अनुसार, कैमूर के जंगल 1,134 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में हैं, जिसमें कैमूर वन्यजीव अभयारण्य का 986 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र भी शामिल है।
कैमूर के जंगल क्षेत्रफल की दृष्टि से राज्य में सबसे बड़े हैं।
कैमूर के जंगल पड़ोसी राज्यों झारखंड, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश के जंगलों से जुड़े हुए हैं।
दक्षिण में झारखंड के पलामू टाइगर रिजर्व और गढ़वा जंगल हैं।
इस क्षेत्र में 1990 के मध्य में बाघ के आशियाने थे, लेकिन फिर छीन गए। इसके बाद 2016-17 से बाघ फिर से नजर आने लगे थे।
मार्च 2020 में एक नर बाघ को कैमरा ट्रैप में देखा गया था।
बिहार के पश्चिम चंपारण जिले में स्थित वाल्मीकि टाइगर रिजर्व बिहार का एकमात्र बाघ अभ्यारण्य है।
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