समझौता का विवरण
- यह DPIIT और गति शक्ति विश्वविद्यालय के बीच समझौता हुआ है, जिसका मुख्य उद्देश्य बुनियादी ढांचे को बढ़ावा देना है।
पीएम गति शक्ति राष्ट्रीय मास्टर प्लान
- इस समझौते के अंतर्गत, पीएम गति शक्ति विश्वविद्यालय भारत के विभिन्न राज्यों में पीएम गति शक्ति राष्ट्रीय मास्टर प्लान और राष्ट्रीय लॉजिस्टिक्स नीति से संबंधित पाठ्यक्रमों को डिजाइन और विकसित करने के लिए नोडल एजेंसियां बनाएगा।
विमानन-केंद्रित प्रशिक्षण
- इस विश्वविद्यालय में 15,000 छात्रों को विमानन-केंद्रित प्रशिक्षण दिया जाएगा, जिससे उन्हें टाटा-एयरबस के द्वारा रोजगार के अवसर मिलेंगे।
लॉजिस्टिक्स में सुधार
- वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने इस समझौते को लॉजिस्टिक्स के क्षेत्र में बदलाव लाने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम माना और बुनियादी ढांचे को मजबूत करने के रूप में इसके अकादमिक दृष्टिकोण का समर्थन किया।
पीएम गति शक्ति का महत्व
- पीएम गतिशक्ति राष्ट्रीय मास्टर प्लान भारत के सामाजिक-आर्थिक विकास के लिए महत्वपूर्ण है, और यह ढांचागत योजना और प्रतिस्पर्धी लॉजिस्टिक्स पारिस्थितिकी तंत्र को एकीकृत करता है।
गतिशक्ति विश्वविद्यालय का महत्व
- गतिशक्ति विश्वविद्यालय भारत का पहला और तीसरा रेलवे विश्वविद्यालय है और यह सामाजिक-आर्थिक विकास के साथ ढांचागत योजना को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
“उद्योग और आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग (DPIIT)” के बारे में छोटे नोट्स

विभाग का परिचय
- उद्योग और आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग भारत सरकार के एक महत्वपूर्ण विभाग है। इसका मुख्य कार्य क्षेत्र उद्योग और व्यापार से संबंधित मामले हैं।
उद्योग नीति और योजनाएँ
- विभाग उद्योग नीति और योजनाओं का निर्माण और प्रबंधन करता है। यह उद्योगों को प्रोत्साहित करने और उनके विकास के लिए नीतियों का आयोजन करता है।
संविदानिक और सांविदानिक विकास
- उद्योग और आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग विभिन्न संविदानिक और सांविदानिक विकास कार्यों को प्रोत्साहित करता है, जैसे कि उद्योग क्षेत्र में निवेश और रोजगार के अवसरों का बढ़ावा देना।
व्यापारिक संबंध और व्यापार सुधार
- यह विभाग व्यापारिक संबंधों को बढ़ावा देने और व्यापार मार्गों को सुधारने के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाता है।
सुझाव और रिपोर्ट्स
- विभाग उद्योग और व्यापार से संबंधित नीतियों के बारे में सुझाव और रिपोर्ट्स तैयार करता है जो सरकार को नीतिनिर्धारण में मदद करते हैं।
सांविदानिक और गैर-सांविदानिक विवाद
- इस विभाग का काम है संविदानिक और गैर-सांविदानिक विवादों को समझना और सूलझाना, जिससे व्यापारिक और उद्योगिक समुदायों के बीच सांघर्षों का समाधान हो सके।
विभाग की उपाधिकारिता
- उद्योग और आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग की मुख्य उपाधिकारिता भारतीय उद्योगों के सुधार और विकास को प्रोत्साहित करना है, जिससे अधिक रोजगार और आर्थिक संवर्धन हो सके।
सांविदानिक और गैर-सांविदानिक उपायों की अनुसंधान
- विभाग नई और सुधारी गई नीतियों और उपायों की अनुसंधान करता है जो उद्योग और व्यापार से संबंधित हैं, ताकि भारतीय अर्थव्यवस्था को बेहतरीन दिशा में ले जाया जा सके।
(Sources : AIR News, PIB News, DD News)
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