Eastern Economic Forum(EEF): केंद्रीय बंदरगाह, जहाजरानी और जलमार्ग और आयुष मंत्री श्री सर्बानंद सोनोवाल, रूस के पूर्वी शहर व्लादिवोस्तोक में आयोजित ‘8वीं पूर्वी आर्थिक मंच’ की बैठक में भारत का प्रतिनिधित्व करेंगे। चीन, लाओस, मंगोलिया और आसियान देशों के प्रतिनिधिमंडल भी रूस में 10 से 13 सितंबर तक होने वाली बैठक में भाग लेंगे।
Eastern Economic Forum: पूर्वी आर्थिक मंच
- 2015 में रूस के राष्ट्रपति ब्लादमिर पुतिन ने पूर्वी आर्थिक मंच की पहल की।
- इस मंच का लक्ष्य रूस के सुदूर पूर्व में विदेशी निवेश को बढ़ावा देना ।
- रूस के सुदूर पूर्व (Russia’s Far East) जगह पर उद्यमियों के लिए अपने कारोबार का विस्तार करने हेतु मंच/फोरम है।
- इस फोरम का उद्देश्य रूस के सुदूर पूर्व क्षेत्र में प्राकृतिक संसाधनों की अधिकता को देखते हुये आर्थिक विकास तथा एशिया-प्रशांत क्षेत्र में अंतर्राष्ट्रीय सहयोग को बढ़ावा देना।
- हर साल रूस के व्लादिवोस्तोक शहर में इसका आयोजन किया जाता है।
Russia’s Far East(RFE): रूस के सुदूर पूर्व क्षेत्र
- रूस का यह सुदूर-पूर्व हिस्सा प्रशांत महासागर और बैकाल झील के बीच है।
- इस क्षेत्र की सीमा मिलती है –
- दक्षिणी सीमा : मंगोलिया, पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना और डेमोक्रेटिक पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ कोरिया
- उत्तर-पूर्व : इस क्षेत्र की समुद्री सीमा, जापान और यूएस (US)
- यहाँ जीवन-यापन की आवश्यक सुविधाओं का अभाव है क्योंकि साइबेरिया की जलवायु बहुत ठंडी है। इसलिए यहाँ बहुत कम लोग रहते हैं।
- यह क्षेत्र प्राकृतिक संसाधन जैसे खनिज, तेल और गैस से संपन्न है।
- रूस के लगभग 30% जंगल भी इस क्षेत्र में हैं।
- प्राकृतिक संसाधनों से भरपूर यह क्षेत्र रूस की अर्थव्यवस्था को मजबूत करने में बड़ी भूमिका निभा सकता है । इसलिए रूस इस क्षेत्र की महत्व को समझते हुए विदेशी निवेश आकर्षित करने का प्रयास कर रहा है।
- साथ ही, रूस का उद्देश्य इस क्षेत्र में स्थित प्राकृतिक संसाधन का पता लगाकर विदेशी निवेश के माध्यम से उनका दोहन करके विश्व बाजार में उनका प्रवेश करना है।
Purpose of Russia: रूस का उद्देश्य
- आर्थिक संकटों और प्रतिबंधों से बचने के लिए चीन और अन्य एशियाई देशों की सहायता लेना।
- प्राकृतिक संसाधनों से भरपूर यह क्षेत्र रूस की अर्थव्यवस्था को मजबूत करने में बड़ी भूमिका निभा सकता है । इसलिए रूस इस क्षेत्र की महत्व को समझते हुए विदेशी निवेश आकर्षित करने का प्रयास कर रहा है।
- साथ ही, रूस का उद्देश्य इस क्षेत्र में स्थित प्राकृतिक संसाधन का पता लगाकर विदेशी निवेश के माध्यम से उनका दोहन करके विश्व बाजार में उनका प्रवेश करना है।
इस क्षेत्र में निवेश करने से भारत को क्या फायदा है ?
- चीन रूस के सुदूर पूर्व क्षेत्र में सबसे बड़ा निवेशक है। कुल विदेशी निवेश का लगभग 90 % हिस्सा है।
- चीन सुदूर पूर्व क्षेत्र में चीनी बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) और पोलर सी रूट को बढ़ावा देने की क्षमता देखता है।
- रूस पर अमेरिकी प्रतिबंधों के बाद से वैश्विक पटल पर रूस की भूमिका सीमित होती जा रही है, जबकि चीन ने इस क्षेत्र में निवेश किया है, जिससे रूस चीन की ओर बढ़ा रहा है।
- ऐसी स्थिति में भारत की मौजूदगी एक संतुलन बनाएगी। साथ ही ये भारत के सामरिक और आर्थिक के लिए लाभदयाक है।
- भारत RFE में अपना प्रभाव बढ़ाना चाहता है।
- भारत ऊर्जा, फार्मास्यूटिकल्स, समुद्री संपर्क, चिकित्सा, पर्यटन, हीरा और आर्कटिक क्षेत्रों में अपने सहयोग को बढ़ाना चाहता है।
- EEF के माध्यम से भारत का उद्देश्य रूस के साथ मज़बूत अंतरराष्ट्रीय संबंध बनाना है।
Act For East Policy : एक्ट फार ईस्ट पॉलिसी
प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने 2019 में रूस की यात्रा के दौरान रूस के सुदूर पूर्वी क्षेत्र में विकास की गतिविधियों को तेज करने के लिए एक नई नीति “एक्ट फोर ईस्ट पॉलिसी” की घोसना की।
India-Russia Relations: भारत-रूस संबंध
- आज़ादी के बाद से भारत-रूस के संबंध सुधर रहे हैं।
- भारत-रूस का सहयोग लगभग हर क्षेत्र में होता है जैसे राजनीति, सुरक्षा, रक्षा, व्यापार और अर्थव्यवस्था, विज्ञान और प्रौद्योगिकी, और संस्कृति।
- पिछले कुछ वर्षों में खासकर कोविड के बाद, भारत-रूस के संबंधों में कुछ कमी आई है।
- रूस के चीन और पाकिस्तान के साथ घनिष्ठ संबंध इसका सबसे बड़ा कारण हैं। इस नजदीकी ने भारत को पिछले कुछ वर्षों में कई भू-राजनीतिक मुद्दों पर पुनर्विचार करने की जरूरत की ओर संकेत किया है।
- रक्षा व्यापार का अधिकांश हिस्सा भारत और रूस के बीच होता है।
- भारत की अमेरिका से बढ़ती नजदीकी भी रूस को चिंतित करती है।
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