“संकल्प सप्ताह” का लक्ष्य
- “संकल्प सप्ताह”, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा आकांक्षी प्रखण्ड कार्यक्रम का लक्ष्य ब्लॉक स्तर पर नागरिकों के जीवन स्तर को बेहतर बनाना है।
महत्वपूर्ण घटना
- भारत मंडपम में ‘संकल्प सप्ताह’ का शुभारंभ करते हुए प्रधानमंत्री ने इसका महत्व बताया।
- इस कार्यक्रम के माध्यम से प्रशासन में सुधार करके देश के 329 जिलों के 500 आकांक्षी प्रखण्डों में रह रहे लोगों का जीवन स्तर बेहतर बनाने का मिशन है।
सफलता का साक्षर परिणाम
- प्रधानमंत्री ने बताया कि इस कार्यक्रम के पांच वर्ष पूरे हो चुके हैं और इसके परिणामस्वरूप देश के 112 जिलों में पच्चीस करोड़ से ज्यादा लोगों के जीवन में सकारात्मक बदलाव आया है।
विकास का मॉडल
- प्रधानमंत्री ने इस कार्यक्रम को सफलता का मॉडल मानकर बताया है, और इससे स्पष्ट होता है कि अगर प्रशासन की कुशलता पर ध्यान दिया जाए तो चुनौती पूर्ण लक्ष्यों को भी हासिल किया जा सकता है।
आगे की दिशा
- प्रधानमंत्री ने राज्यों के सचिवों से आग्रह किया कि वे अपने विभागों के स्तर पर देश भर में 100 ऐसे प्रखंडों की पहचान करें, जो विकास प्रक्रिया में पिछड गए हैं।
- इन प्रखंडों को विकसित करने के माध्यम से वे अगले एक हजार गांवों के विकास का मॉडल तैयार कर सकेंगे।
कार्यक्रम की विषेशता
- ‘संकल्प सप्ताह’ में प्रत्येक दिन एक विशिष्ट विकास विषय पर काम किया जा रहा है, जिन पर सभी आकांक्षी ब्लॉक काम कर रहे हैं।
- पहले छह दिनों की थीम में ‘संपूर्ण स्वास्थ्य’, ‘सुपोषित परिवार’, ‘स्वच्छता’, ‘कृषि’, ‘शिक्षा’, और ‘समृद्धि दिवस’ शामिल हैं।
- ‘संकल्प सप्ताह’ का समापन 9 अक्टूबर, 2023 को ‘संकल्प सप्ताह – समावेश समारोह’ के रूप में होगा।
भाग लेने वालों की संख्या
- उद्घाटन कार्यक्रम में भारत मंडपम में देश भर से लगभग 3,000 पंचायत और ब्लॉक-स्तरीय जन प्रतिनिधि और पदाधिकारी भाग लेंगे।
- इसके अलावा, ब्लॉक और पंचायत स्तर के पदाधिकारियों, किसानों और अन्य क्षेत्रों के व्यक्तियों सहित लगभग दो लाख लोग वर्चुअली भी इस कार्यक्रम से जुड़ेंगे।
जनभागीदारी का महत्व
- प्रधानमंत्री ने जनभागीदारी में समस्याओं के समाधान की अपार क्षमता को महत्वपूर्ण माना और बताया कि 112 आकांक्षी जिले अब प्रेरक जिले बन गए हैं।
- यह आकांक्षी प्रखंड कार्यक्रम जनभागीदारी के माध्यम से सकारात्मक परिणामों को प्राप्त करने का महत्वपूर्ण उदाहरण प्रस्तुत करता है।
रिसोर्स
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