उल्फा समझौता: यूनाइटेड लिबरेशन फ्रंट ऑफ असम (ULFA) ने शुक्रवार को केंद्र और असम सरकार के साथ एक त्रिपक्षीय समझौता साइन किया है, जिससे शांति की किरणें छाई हैं। इस महत्वपूर्ण घटना के साथ, 700 कैडरों ने भी हिंसा को छोड़ने का फैसला किया है, जिससे दोनों पक्षों के बीच 12 साल की बातचीत का समापन हुआ है।
इस ताजगी भरे मोमेंट में, शांति समझौते को साइन करने के लिए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने सहमति जताई है। इस उग्रवादी संगठन के नेतृत्व में रहे अरबिंद राजखोवा के साथ चली बिना शर्त बातचीत ने स्थिति को सुलझाने का मार्ग दिखाया है।
शांति की बातें, 700 कैडरों का समर्पण
शांति समझौते के साथ, 700 ULFA कैडरों ने भी समर्पण का संकेत दिया है, जिससे इस संघर्ष से मुक्ति की ऊँचाइयों को हासिल करने की कोशिश की जा रही है। इस बड़े कदम के बाद, उल्फा संगठन की भूमिका और देश के साथ सहयोग करने का एक नया दौर आरंभ हो सकता है।
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असम की उम्मीदें और समझौते के मुख्य पॉइंट्स
शांति समझौते के माध्यम से ULFA के सदस्यों ने सशस्त्र आंदोलन का रास्ता छोड़ दिया है, और इस पर भारत सरकार ने मुध्यधारा में लाने का हर संभव प्रयास करने का वादा किया है। असम सरकार ने ULFA कैडरों के लिए रोजगार के अवसर मुहैया कराने का भी आश्वासन दिया है। साथ ही, असम के लोगों की सांस्कृतिक विरासत बनी रहने की भी गारंटी दी गई है। इस समझौते से राज्य में बेहतर रोजगार के साधन मौजूद होने की उम्मीद है, जिससे लोगों को नए संभावनाओं का सामना करने का अवसर मिल सकता है।
उल्फा समझौता: असम के भविष्य की उज्जवल कहानी
जब उल्फा संगठन के गुट ने इस शांति समझौते पर हस्ताक्षर किए, तो अमित शाह ने इसे असम के भविष्य के लिए एक उज्जवल दिन माना है। उन्होंने बताया कि पिछले 5 सालों में पूर्वोत्तर में 9 शांति समझौते हुए हैं, जिनमें सीमा शांति और शांति समझौते शामिल हैं। असम के 85% इलाकों से AFSPA हटा दिया गया है, जो राज्य में हिंसा की स्थिति को सुधारने के लिए एक प्रमुख कदम है। इस ताजगी से, उल्फा संगठन के साथ हुए समझौते से राज्य में हिंसा को बढ़ावा मिलने की आशा है, जो दशकों से इस संगठन के कारण हुई थी और जिसमें करीब 10 हजार लोगों की मौत हो गई थी।
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नया दौर: ULFA का संगठन
ULFA के उल्लेखय गुट जिसने शांति समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं, उसका नेतृत्व अनूप चेतिया कर रहे हैं। इस गुट ने साल 2011 के बाद से हथियार नहीं उठाए हैं, और इस नए चरण में वह समाज में शांति और समृद्धि की दिशा में काम करने का दृढ़ संकल्प बना रख रहा है।
इस अद्वितीय घटना के पीछे छिपी हुई यह कहानी है कि असम को एक नया सुबह मिल सकता है, जिसमें उग्रवाद के खिलाफ साझेदारी, रोजगार के अवसर और सांस्कृतिक समृद्धि का समर्थन किया जाएगा। इस समझौते ने सिर्फ एक उल्फा संगठन के सदस्यों के लिए ही नहीं, बल्कि पूरे राज्य के लोगों के लिए भी नए दरवाजे खोले हैं और एक सकारात्मक दिशा में बदल सकते हैं।इस मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार.
FAQs:
प्रश्न: असम में शुक्रवार को क्या महत्वपूर्ण घटना हुई थी?
उत्तर: असम में शुक्रवार को यूनाइटेड लिबरेशन फ्रंट ऑफ असम (ULFA) ने केंद्र और असम सरकार के साथ त्रिपक्षीय समझौता साइन किया, जिससे 12 साल के बातचीत का समापन हुआ।
प्रश्न: इस समझौते के परिणामस्वरूप, कौन-कौन सी प्रमुख घटनाएं हुईं?
उत्तर: इस समझौते के परिणामस्वरूप, 700 ULFA कैडरों ने हिंसा छोड़ने का फैसला किया और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने इसे सहमति जताई।
प्रश्न: शांति समझौते से क्या-क्या परिणाम हो सकते हैं?
उत्तर: शांति समझौते से, 700 ULFA कैडरों ने समर्पण का संकेत दिया है, जिससे उल्फा संगठन की भूमिका और देश के साथ सहयोग करने का एक नया दौर आरंभ हो सकता है।
प्रश्न: असम सरकार ने ULFA कैडरों के लिए क्या प्राधिकृतिक प्रयास किए हैं?
उत्तर: शांति समझौते के माध्यम से, असम सरकार ने ULFA कैडरों के लिए रोजगार के अवसर मुहैया कराने का आश्वासन दिया है, साथ ही उन्हें राज्य में सांस्कृतिक विरासत की गारंटी दी गई है।
प्रश्न: असम के भविष्य के लिए शांति समझौता क्या संकेत कर रहा है?
उत्तर: असम के भविष्य के लिए शांति समझौता एक नया दौर शुरू कर सकता है, जिसमें उग्रवाद के खिलाफ साझेदारी, रोजगार के अवसर, और सांस्कृतिक समृद्धि का समर्थन किया जा सकता है।
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