MILAN-24: भारतीय नौसेना ने घोषित किया है कि विशाखापत्तनम में 19 से 27 फरवरी 2024 के दौरान ‘मिलन-24′ नामक बहुराष्ट्रीय अभ्यास का आयोजन किया जाएगा। इस अभ्यास का 12वां संस्करण होगा, जो पूर्वी नौसेना कमान के तहत इस नगर में आयोजित किया जा रहा है। पिछले संस्करण में इस अभ्यास का सफल समापन हुआ था, और इस बार की तैयारियों में भी उत्साह बढ़ रहा है।
मिलन, जो 1995 में भारत की ‘पूर्व की ओर देखो नीति’ के अनुरूप शुरू हुआ था, एक द्विवार्षिक बहुराष्ट्रीय नौसैनिक अभ्यास है। इसमें इंडोनेशिया, सिंगापुर, श्रीलंका, और थाईलैंड सहित चार देशों की भागीदारी होती है, जो समुद्री सुरक्षा और सहयोग को बढ़ावा देने के उद्देश्य से मिलते हैं।
मिलन-24 का महत्व
इस अभ्यास का मुख्य उद्देश्य है प्रशांत महासागर क्षेत्र में समुद्री सहयोग और सुरक्षा को बढ़ावा देना। भारत ने इसे एक महत्वपूर्ण मंच बनाने का प्रयास किया है, जिसमें दुनिया भर के नौसेनाओं को मिलकर अपनी क्षमताओं को साझा करने का एक अद्वितीय अवसर है।
इस बार का अभ्यास विशेष रूप से नौसेना तंत्र, तकनीकी नवाचार, और संयुक्त युद्ध प्रशिक्षण के क्षेत्र में ध्यान केंद्रित किया जाएगा। सैन्य विशेषज्ञों का कहना है कि इस अभ्यास से नौसेना कर्मियों को नई तकनीकों का अध्ययन करने और उन्हें अपनाने का अवसर मिलेगा, जिससे समुद्री सुरक्षा में उनकी क्षमताएं और बढ़ेंगी।
भारतीय नौसेना का प्रतिबद्धता
भारतीय नौसेना ने मिलन के माध्यम से अपनी प्रतिबद्धता को प्रदर्शित किया है, और यह अभ्यास देश के समुद्री सुरक्षा में अग्रणी भूमिका निभा रहा है। सैन्य परिक्षेत्र में विशेषज्ञता प्राप्त करने के लिए यह अभ्यास महत्वपूर्ण है, और इससे नौसेना के कर्मियों को नई रूपरेखा मिलेगी।
अभ्यास की योजना और कार्रवाई
मिलन-24 का आयोजन तब किया जा रहा है, जब बढ़ते राष्ट्रवाद और समुद्री सुरक्षा के क्षेत्र में नई चुनौतियों का सामना कर रहा है। इस अभ्यास के तहत, भारतीय नौसेना अपनी तैयारी में गहराई से जुटी है, ताकि वह आने वाले समय में किसी भी स्थिति का सामना कर सके।
अभ्यास में समाहित रहने के लिए विभिन्न देशों से नौसेनाओं को विशाखापत्तनम आने का आदान-प्रदान होगा। इसमें नौसेना युद्धशिक्षा, संयुक्त युद्ध क्षमताओं, और संयुक्त अभ्यासों का एक सशक्त मंच प्रदान करेगा।
अभ्यास का सामाजिक पहलु
मिलन-24 के अलावा, एक नौसेना बैंड कांसर्ट और सामाजिक कार्यक्रमों का भी आयोजन किया जाएगा। इससे देशों के बीच सांस्कृतिक विनिमय और एक दूसरे के साथ मित्रता में बढ़ोतरी होगी। यह एक महत्वपूर्ण मौका है जहां नौसेना कर्मी नहीं सिर्फ अपनी योजनाओं को साझा करेंगे, बल्कि एक-दूसरे के साथ सांस्कृतिक और राजनीतिक मामलों पर विचारविमर्श करेंगे।
नया चुनौतीपूर्ण महत्वपूर्ण समय
मिलन-24 का आयोजन एक चुनौतीपूर्ण समय में किया जा रहा है, जब दुनिया समुद्री सुरक्षा और नौसैनिक युद्ध क्षेत्र में नए रूपों के संघर्षों का सामना कर रही है। भारतीय नौसेना के इस अभ्यास से आशा है कि यह देश को नई ऊंचाइयों और महत्वपूर्ण स्थितियों में स्थापित करेगा, और समुद्री सुरक्षा में एक प्रमुख भूमिका निभाएगा।
इस बार का मिलन सीमित नहीं है, बल्कि यह एक नये युग की शुरुआत है, जिसमें सामाजिक, सांस्कृतिक, और सुरक्षा से जुड़े दृष्टिकोणों से नौसेना कर्मी नए ज्ञान और अनुभव प्राप्त करेंगे। भारतीय नौसेना की इस पहल में सफलता की कामना की जाती है, और यह दुनिया के साथ मिलकर एक नए युग की शुरुआत को संकेत करता है।
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सामान्य प्रश्न (FAQs) ‘मिलन-24’ के बारे में
‘मिलन-24’ क्या है और इसका मुख्य उद्देश्य क्या है?
उत्तर: ‘मिलन-24’ एक बहुराष्ट्रीय नौसैनिक अभ्यास है जो 19 से 27 फरवरी 2024 के दौरान विशाखापत्तनम में आयोजित किया जाएगा। इसका मुख्य उद्देश्य प्रशांत महासागर क्षेत्र में समुद्री सहयोग और सुरक्षा को बढ़ावा देना है।
‘मिलन’ का क्या इतिहास है और किन-किन देशों की भागीदारी होती है?
उत्तर: ‘मिलन’ 1995 में भारत की ‘पूर्व की ओर देखो नीति’ के अनुरूप शुरू हुआ था और इसमें इंडोनेशिया, सिंगापुर, श्रीलंका, और थाईलैंड सहित चार देशों की भागीदारी होती है।
‘मिलन-24’ का क्या विशेष फोकस होगा?
उत्तर: ‘मिलन-24’ में विशेष रूप से नौसेना तंत्र, तकनीकी नवाचार, और संयुक्त युद्ध प्रशिक्षण के क्षेत्र में ध्यान केंद्रित किया जाएगा। यह नौसेना कर्मियों को नई तकनीकों का अध्ययन करने और उन्हें अपनाने का अवसर प्रदान करेगा।
क्या ‘मिलन-24’ से भारतीय नौसेना को क्या लाभ हो सकता है?
उत्तर: ‘मिलन-24’ से नौसेना को नई तकनीकों का अध्ययन करने और उन्हें अपनाने का अवसर मिलेगा, जिससे समुद्री सुरक्षा में उनकी क्षमताएं और बढ़ेंगी।
क्या ‘मिलन-24’ के अलावा और कुछ होगा?
उत्तर: हां, इसके अलावा, एक नौसेना बैंड कांसर्ट और सामाजिक कार्यक्रमों का भी आयोजन होगा जिससे देशों के बीच सांस्कृतिक विनिमय और मित्रता में बढ़ोतरी होगी।
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